भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 59 लाख के पार, एक्सपर्ट्स ने बताये वायरस को रोकने के कुछ उपाय, अगर आपको ज़रूरी लगता है तो पढ़ें, नही तो चलते बनें…

भारत में कोविड-19 के मामले 59 लाख के पार चले गए, जबकि इनमें से 47 लाख से अधिक लोग संक्रमण मुक्त भी हो चुके हैं। देश में मरीजों के ठीक होने की दर 81.74 प्रतिशत है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एक दिन में कोविड-19 के 86,052 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 58,18,570 हो गए। वहीं पिछले 24 घंटे में 1,141 और लोगों की मौत के बाद काल तक मृतक संख्या बढ़कर 92,290 हो गई थी।
रोगियों की मृत्यु की दर 1.59 प्रतिशत
आंकड़ों के अनुसार देश में अभी तक 47,56,164 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। कोविड-19 से रोगियों की मृत्यु की दर 1.59 प्रतिशत है। उसके अनुसार देश में अभी 9,70,116 मरीजों का कोरोना वायरस का इलाज जारी है, जो कुल मामलों का 16.67 प्रतिशत हैं।

अब तक कुल 6,89,28,440 नमूनों की जांच
भारत में कोविड-19 के मामले सात अगस्त को 20 लाख के पार, 23 अगस्त को 30 लाख के पार, पांच सितम्बर को 40 लाख के पार और 16 सितम्बर को 50 लाख के पार चले गए थे। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार देश में 24 सितम्बर तक कुल 6,89,28,440 नमूनों की जांच की गई, इनमें से 14,92,409 नमूनों की जांच बृहस्पतिवार को की गई।
एहितयाती उपायों पर ध्यान नहीं देना
मामले बढ़ने की एक वजह लोगों द्वारा एहितयाती उपायों पर ध्यान नहीं देना है। संक्रमण फैलने के अन्य कारणों में त्योहार का मौसम, कोविड-19 का संदेह होने पर भी देर से जांच करवाना, संक्रमितों के संपर्क में आना, प्रवासियों का लौटना और अनलॉक (लॉकडाउन से चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलने की प्रक्रिया) के कदम हैं। बीते कुछ दिन में नए मामले और उपचाराधीन मरीज भी बढ़े हैं।

समय पर जांच नहीं कराना
कोरोना के मामले बढ़ने का एक प्रमुख कारण समय पर जांच नहीं कराना है. लोगों को यह अहसास नहीं होता कि समय पर जांच नहीं करवाने पर वे अपने आसपास के कई लोगों को संक्रमित कर देंगे। किसी भी सरकारी अस्पताल या दवाखाने में नि:शुल्क जांच करवाई जा सकती है।
मामूली लक्षणों की अनदेखी करना
मेदोर अस्पताल, कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया, के प्रभारी मनोज शर्मा ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए आने वाले लोगों की संख्या अब कम हो गई है।
उन्होंने कहा कि कई लोगों को लगता है कि मामूली लक्षण हैं तो वे ठीक हो जाएंगे। लोगों को यह डर भी लगता है कि अधिकारी उनके घर के बाहर स्टिकर चिपका देंगे और उनके पड़ोसियों को भी पता चल जाएगा।
कोरोना वायरस को रोकने के उपाय
इस बात से चिंतित नीति आयोग के सदस्य और कोरोना राष्ट्रीय टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉक्टर वीके पॉल ने कहा है कि कोरोना काल में अगले दो माह ज्यादा सतर्कता वाले हैं। देखने में आ रहा है कि लोग मास्क का इस्तेमाल कम कर रहे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का रखें ध्यान
उन्होंने कहा, ‘मेरी देशवासियों से अपील है कि वह खुद भी मास्क पहनें और लोगों को भी मास्क पहनने के लिए प्रेरित करें। अगले माह से त्योहार शुरू हो रहे हैं। ऐसे में लोगों से अपील है कि सामाजिक दूरी के नियमों का पालन जरूरी करें वरना जरा सी चूक बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है।
इम्यूनिटी सिस्टम बनाएं मजबूत
डा. पॉल ने कहा कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए जरूरी है कि लोग हल्दी वाला दूध पीएं, च्यवनप्राश खाएं और काढ़ा जरूर पीएं। जिससे कोरोना संक्रमित होने से बचा जा सके।
वायरस से लड़ने के लिए पियें काढ़ा
उन्होंने कहा कि मौसम में बदलाव आने वाला है और सर्दी के दिनों में जुकाम व खांसी होना आम बात है। कोरोना और सर्दी के मौसम में होने वाला बुखार और जुकाम एक जैसे ही लक्षण को दर्शाते हैं। ऐसे में कुछ तरीकों को अपनाकर इससे बचा जा सकता है।

जनता के आग्रह पर टेलीविज़न प्लस का सरकार और प्रशासन से सतर्कता और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधित एक्टिविटी को लेकर सवाल…
जहां राशन की दुकान पर कोरोना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वालों को संक्रमित कर सकता है तो वाइन शॉप पर क्यों नही? क्या कोरोना वाइन शॉप का रिश्तेदार लगता है?
आफिस में घर पर दुकान पर असावधानी से पब्लिक कोरोना संक्रमित हो सकता है ऐसा आप सबका प्रवचन सुनते आ रहें हैं मगर बस ट्रेन लोकल ट्रेन से लोग संक्रमित नही होंगें, आपको या आओके सिस्टम को कोरोना ने एडवांस में इन्फॉर्म किया है क्या?
जब कोरोना की मेडिसिन अभी तक बनी नही तो हॉस्पिटल 2 लाख से 10 लाख तक बिल किस बात का ले रहा है यहां सरकार क्यों सोई पड़ी है?

जब बीएमसी के पास बेड पर्याप्त मात्रा में नही है तो पब्लिक को घर से ज़बरदस्ती क्यों उठा रही है? सीधे नही तो पुलिस बल का प्रयोग करके उठा ले जा रही है फिर केस बिगाड़कर प्राइवेट हिस्पिटल को रेफर कर दे रही है, वगैर ट्रेटमेंट के भी रेफर कर दे रही है। सरकार और प्रशासन सोया पड़ा है, क्यों?
मीडिया हाउस या सरकार के अपने पोर्टल पर टोटल केस को है लाइट तो करते हैं ठीक होने वाले मरीज ओके ओके में मगर ठीक हुए मरीज़ को टोटल से माइनस करके बताने में क्या प्रॉब्लेम होती है ? यही न कि लोग पैनिक नही होंगें तो हॉस्पिटल में लूटने नही मिलेगा!! सरकार और प्रशासन इसपे क्यों चुप्पी साधी है कही डायरेक्टली इनडायरेक्टली वो खुद इस खेल में इन्वाल्व तो नही? ऐसा पब्लिक को क्यों सोंचने पर मजबूर कर रहे?

सरकार ऐसी स्थिति में प्राइवेट या सरकारी अस्पताल से सिर्फ एक आग्रह कर की अगर आपको हिंदुस्तान में अपना हॉस्पिटल चलाना है तो कोरोना का मुफ्त इलाज करना होगा ऐसा ना करने पर आपका लाइसेंस रद्द किया जाएगा। दवा मतलब काढ़ा सरकार प्रोवाइड करे तो अतलीस्ट मरीज पैनिक नहीं होंगें और सरकार से सहानुभूति भी रहेगी की ऐसी स्थिति में सरकार में हमारा साथ दिया।
आप सभी पढ़ने वालों से अनुरोध है कि इस टेलीविज़न प्लस की बात से सहमत हों तो इसे आगे बढ़ाएं, इसमें और क्या होना चाहिए कमेंट बॉक्स में लिखें।
