सरकार ने जारी किया नया फरमान, दूध पिलाने वाली गर्भवती महिलाएं फिलहाल न लगवाएं टीका, वरना हो सकती…

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा है कि अभी कोरोना वायरस के टीकों के विनिमयशीलता की अनुमति नहीं है। साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा है कि गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएं कोरोना वायरस के टीके ना लगवाएं क्योंकि उन्हें अभी तक किसी भी कोरोना वायरस रोधी टीके के क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा नहीं बनाया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्तमान में सिर्फ 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही टीका देने की योजना बनाई है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोई टीका नहीं लगेगा क्योंकि अभी तक उनपर कोई क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया गया है।

हालाँकि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका दिए जाने के बारे में भारत बायोटेक के हेड डॉ कृष्णा येल्ला ने एक टीवी चैनल पर कहा कि उनके द्वारा बनाई गयी कोवैक्सीन इतनी सुरक्षित है कि बच्चों के टीकाकरण में कोई समस्या नहीं आएगी। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मुझे अपने 6 साल के पोते को भी वैक्सीन लगाने में कोई हिचक नहीं होगी। इसके अलावा डॉ येल्ला ने कहा कि जहाँ तक इससे संबंधित डाटा की बात है तो तीसरे चरण के ट्रायल का डाटा चार महीने के अंदर ही आ जाएगा।

साथ ही डॉक्टर कृष्णा येल्ला ने दावा किया कि उनकी कंपनी के द्वारा बनाई गयी कोवैक्सीन 2 से 12 साल के बच्चों को भी दी जा सकती है। भारत बायोटेक बच्चों के टीकाकरण से संबंधित प्रस्ताव जल्दी ही केंद्र सरकार के सामने रख सकती है। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान को भी शुरू किया जा सकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को भेजे गए पत्र में लिखा है कि लोगों को एक टीका अलग और दूसरा अलग टीका लेने की अनुमति नहीं होगी। 14 दिन के अंतराल पर दूसरी खुराक भी उसी टीके की लेनी होगी, जो पहले टीके की ली गयी है। साथ ही राज्यों को टीका लगाने वाले व्यक्ति के मेडिकल हिस्ट्री को भी पता करने को कहा गया है। इसके अलावा एलर्जी वाले लोगों को टीका देने में सावधानी बरतने की भी सलाह दी गयी है। साथ ही इस पत्र में टीकाकरण अभियान के दौरान होने वाली छोटी मोटी समस्याओं के बारे में भी बताया गया है ताकि उनसे आसानी से निपटा जा सके।
