सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या के पीछे का एक बड़ा सच, जिसे नकारा नही जा सकता…

सुशांत का जाना हम सबके लिए चौंकाने वाला था। उनके जाने से सोशल मीडिया पर एक चर्चा छिड़ गई है। मेंटल हेल्थ की चर्चा. क्योंकि रिपोर्ट्स ने बताया कि सुशांत लगभग 6 महीनों से डिप्रेशन से जूझ रहे थे. अलग-अलग तरह के ओपिनियन आ रहे हैं।
जिसमें से ‘खुश रहना चाहिए, योग और ध्यान करो, चॉकलेट खाओ, पार्टी करो, घूमने जाओ कामन और अहम रहा।

जब हम ये कह रहे होते हैं, तब बहुत देर हो चुकी होती है।
तब हमारे बच्चे बड़े हो रहे होते हैं. हम लड़कियों को सिखाते हैं। थोड़ा एडजस्ट करो। एडजस्ट करने से ही तो चलेगा। लड़कों को सिखाते हैं स्ट्रॉन्ग बनो. क्योंकि रोती लड़कियां हैं। और मर्द को दर्द नहीं होता।

दूसरा ये कि उनकी भूमिकाओं को लेकर उन्हें अपराधबोध महसूस करवाते हैं. जैसे मानसिक परेशानियों से जूझ रही महिला से ये कहना कि तुम कैसी मां हो। वो सुसाइड जैसा कदम उठा ले तो ये कहना कि अपने बच्चों के बारे में क्यों नहीं सोचा। वहीं लड़कों को ये लगता है कि डिप्रेशन का मतलब कमजोरी है। जो उनकी मर्दानगी पर धब्बे की तरह आएगी। इसलिए वे डॉक्टर के पास जाने के बारे में सोचते ही नहीं।

क्यों न इस बात का भी ज़िक्र हो जाए. कि जो लोग सुशांत के जाने पर खेद जता रहे हैं. वो खुद, किसी और व्यक्ति को मानसिक प्रताड़ना का शिकार भी बना रहे हैं।
अपने टीवी सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ की को-एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे के साथ सुशांत 6 साल रिलेशनशिप में थे। जैसे ही सुशांत की मौत की खबर आई, लोग अंकिता के इन्स्टाग्राम अकाउंट पर पहुंच गए, और कहने लगे, ‘कितनी बेशर्म हो तुम. वो तुम्हारी वजह से गया. और तुम एक वाक्य तक नहीं लिख रहीं हो ये क्या बदतमीजी है।

जहां एक ओर सोशल मीडिया पर मेंटल हेल्थ पर बड़ी-बड़ी बातें छौंकी जा रही थीं. वहीं दूसरी ओर लोग अंकिता को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए सोशल मीडिया का जितना इस्तेमाल कर सकते थे, कर रहे थे।

फिर लोग रिया चक्रवर्ती और कृति सैनन के पास पहुंचे. दोनों ही सुशांत की करीबी दोस्त रही हैं. ख़बरें ये थीं कि कुछ दिनों पहले तक रिया लॉकडाउन में सुशांत के ही साथ रह रही थीं. इन दोनों एक्ट्रेसेज से भी इसी तरह के सवाल पूछे गए. कृति कि बहन नूपुर ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘तुम कितनी पत्थरदिल हो, तुमने एक पोस्ट नहीं डाला, एक भी रिएक्शन नहीं आया तुम्हारी तरफ से’, हमें इस तरह के मैसेज आ रहे हैं।

आप खुद सोचें. क्या आपके जीवन में ऐसे लोग नहीं हैं, जिनसे आपकी अब बात नहीं होती. जो किसी न किसी वजह से पीछे छूट गए. क्या आप मनाते हैं कि वे चले जाएं. क्या आप खुश होंगे अगर उनके बारे में कोई बुरी खबर आए तो?

अगर सुशांत के जाने का दुख हमें असल में है. तो सिर्फ एक ही तरीका है उस दुख के साथ न्याय करने का. कि हम मेंटल हेल्थ के बारे में पढ़ें, जानें और संवेदनशील बने. किसी का अपमान करने के पहले सौ बार सोचें. सत्ता के किसी पद पर हैं तो बार बार खुद से पूछें कि क्या हम फेयर हैं. न्यायपूर्ण हैं। किसी की चुगली करने, उसके उपर सोशल मीडिया द्वारा भद्दे कमेंट करने के पहले सौ बार सोचें. आपकी एक घटिया बात किसी को कितनी रातें जगाकर रख सकती है, आप नहीं जानते. इसलिए सोचें. क्योंकि अटकलें लगाना, किसी की मौत के बाद उसके रिश्ते उधेड़ना, उसकी पर्सनल लाइफ में घुस जाना. और हैशटैग में बने रहना आसान है, लेकिन कितना गलत है?

“हम हार-जीत, सक्सेस-फेलियर में इतना उलझ गए हैं, कि ज़िन्दगी जीना भूल गए हैं. जिंदगी में अगर कुछ सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है, तो वो है खुद जिंदगी.”
ये सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म ‘छिछोरे’ का डायलॉग है, जिसके वीडियो लोग उनके जाने के बाद से बार-बार शेयर कर रहे हैं. और कह रहे हैं कि ऐसे डायलॉग बोलने वाला खुद कैसे जा सकता है? जल्द खुलेेेगी सुुशांत की अंतिम यात्रा की पोल और….
